ज़िम्मेदारी


ज़िम्मेदारी 

ज़िम्मेदारी थामी नहीं जाती,

खुद से लेनी पड़ती है,

सरलता सिखाई नहीं जाती,

खुद से अपनानी पड़ती है।

प्यार जताया नहीं जाता,

प्यार करना पड़ता है,

लेकिन ये सब कुछ ज़िंदगी सिखाती है।

                                               -आयुष ज्ञानेश्वर ठाकुर

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