दोस्त
दोस्त
मिले वो पूराने दोस्त और मीट जाए उनकी यादें,
जब में उनको मिलने में उत्साहि होता था,
अब मन भर आता है जब उनकी याद आती है।
मिले वो पूराने दोस्त और मीट जाए उनकी यादें,
काश जैसे में परीक्षा में उत्तर भूल जाता था वैसे है उनके साथ बिताये हुये पल भूल पाता।
मिले वो पूराने दोस्त और मिट जाए उनकी यादें,
वो पल याद आते है जब हम साथ हुआ करते थे,
काश मिले दोबारा वो पल जब हम एक साथ घुमा करते थे।
मिले वो पूराने दोस्त और मीट जाए उनकी यादें,
अब हो नही पति वार्तालाब सिर्फ होती है जन्मदिन पर मुबारक की बात,
कभी अनजान हो कर ही मिला करो,
पता तो चले कितने बदल गए हो,
अब चेहरे भी याद नहीं आ रहे इतने साल बीत गए बिना मुलाकत के।
मिले वो पूराने दोस्त और मिट जाए उनकी यादें।
-आयुष ज्ञानेश्वर ठाकुर
Comments
Post a Comment